Rehaee Jo Qaide Sitam se Milegi to Phele Gham-e-Shah Manayegi Zainab

रिहाई जो क़ैद ए सितम से मिलेगी तो पहले ग़मे शह मनाएगी ज़ैनब
नहीं रो सकी है ये भाई को अपने ज़रा खुल के आँसू बहायेगी ज़ैनब

ना चादर थी बाक़ी ना बाज़ू खुले थे जो मातम ये भाई का करती तो कैसे
मिलेगी रिहाई जो ज़ुल्मो सितम से तो फ़र्शे ग़मे शह बिछाएगी ज़ैनब

मदीने से पहले ये दश्ते बला में शहीदों के मरक़द पे आहो फ़ुग़ाँ में
जो ज़िन्दाँ में गुज़रे हैं रंजो मसायब शहे कर्बला को सुनाएगी ज़ैनब

वो माटी के बिस्तर पे बच्चों का सोना सकीना का रोना तुम्हारा ना होना
ये ही सोचती थी अँधेरे में तनहा भला इसको कैसे सुलाएगी ज़ैनब

नहीं सो सकी थी जुदा होके तुमसे वो ज़िन्दाँ में सोती है बच्ची तुम्हारी
सुला आयी उसको अँधेरे मकां में भला किस तरह ये बताएगी ज़ैनब

सितम ज़ालिमों के ना सह पाई बच्ची जुदा होके तुमसे ना रह पाई बच्ची
जगाया बहुत मैंने भाई ये कह कर तुम्हारे बिना कैसे जायेगी ज़ैनब

हमें ज़ालिमों ने सताया है भाई बे मखना बे चादर फिराया है भाई
बचाया है दीं तुमने अपने लहु से तुम्हारी शहादत बचाएगी ज़ैनब

है सैलाब सीने में भाई के ग़म का मुसीबत का फुरक़त का रंजो अलम का
कहीं छुप ना जाए शहे दीं का क़ातिल अज़ाख़ाना पहले बनाएगी ज़ैनब

ये फ़र्शे अज़ा यूँ ही बिछती रहेगी सितम ज़ालिमों के ये सबसे कहेगी
ज़ुहैर अपनी आँखों से आँसु बहाओ नक़ाबें सितम की उठाएगी ज़ैनब