Zikr e Haider ko aam karte hain

हम जो ज़िक्रे इमाम करते हैं
क़द से ऊँचा ये काम करते हैं

ज़िकरे मौला का फैज़ तो देखो
सिन रसीदा सलाम करते हैं

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क़द से ऊँचा वो काम करते हैं
जो भी ज़िक्रे इमाम करते हैं

उनका सब एहतिराम करते हैं
जो सिना से कलाम करते हैं

दार पर जा के मीसमे तम्मार
ज़िक्रे हैदर को आम करते हैं

आने वाले हैं ग़ैब से मौला
क्या कोई इंतज़ाम करते हैं

मर्सिया नोहा मन्क़बत खानी
आम शह का पयाम करते हैं

नारा हैदर का हम लगा के ज़ुहैर
रुख़ पे मुनकिर के शाम करते हैं

Phool Masle Ja Rahe Hain Baghban Parde Main Hai

ना ज़मीं परदे में है ना आसमां परदे में है
फिर भी क्यों लगता है जैसे के जहाँ परदे में है

या इलाही ग़ैब की मुद्दत को अब तो ख़त्म कर
फूल मसले जा रहे हैं बाग़बां परदे में है

किस क़दर बख़शे हैं रब ने देखिए अपने सिफ़ात
आशिकों से रु बा रु भी और निहां परदे में है

उगता सूरज रोज़ देता है मिसाल इनकी हमें
नूर है फैला जहाँ में जिस्मों जां परदे में है

साज़िशों में घिर ना जाये मातमी बच्चे कहीं
ज़हर सुलगा है फ़िज़ा में और धुआं परदे में है

क्या कहें किस से कहें कैसे कहें हद पार है
जिसको रहना चाहिए अब वो कहाँ परदे में है

अब जो मिदहत है तो बस शोरो गुलूकारी से है
शायरी तो आज कल सारी मियां परदे में है

जो अता मुझको हुआ वो लिख दिया मैंने ज़ुहैर
है हकीकत सामने वहमों गुमां परदे में है

Waris e Haider e Karrar Hai Aane Wala

मूनिसो रहबरों ग़म खार है आने वाला
हम ग़रीबों का मददगार है आने वाला

जिसको अल्लाह ने ग़ैबत में छुपा रख्खा है
दीने हक़ का वो तरफदार है आने वाला

शक्लो सूरत में शबाहत में नबी जैसा है
वारिसे हैदर ए कर्रार है आने वाला

वो जो आयेगें तो इस दिल को क़रार आएगा
कलबो जां जाने दिले ज़ार है आने वाला

ज़ुल्म की नींद उड़ा रख्खी है जिसने अब तक
चौदा सदियों का वो इनकार है आने वाला

क़ब्र में सो रहा हर ज़ुल्म का बानी सुन ले
लेके हैदर की वो तलवार है आने वाला

मैंने महफ़िल में सुनाई जो ज़ुहैर उनकी सना
खुद ही कहने लगे अशआर है आने वाला

लेगा हर दौर के ज़ालिम सो वो ही आके खबर
कह दो तीनो से ये एक बार है आने वाला