Yakko tanha jo khada hai kaun ye Sardaar hai?

यक्को तनहा जो खड़ा है कौन ये सरदार है
ज़ालिमों का दिल हिलाती किसकी ये यलगार है

अज़्म इसमें कर्बला का हौसला शब्बीर का
ये अली का शेर है जो बर सर-ए-पैकार है

ओ ज़माने के यज़ीदों है अली इब्ने अली
नाम इसका खामनाई शाह का मातमदार है

बुग़्ज़-ए-हैदर का असर है छुप नहीं सकता कभी
फिर सऊदी कह रहा है जंग-ए-इक़्तेदार है

हैं पचासों मुल्क जिनके हुक्मरां हैं कलमा गो
ज़ुल्म का हामी है जो भी दीन का गद्दार है

दुश्मन-ए-आले नबी जो तू नहीं तो वार कर
चूड़ियां हैं हाथ में या मोम की तलवार है

ज़ुल्म के आगे तो हमने सर झुकाया ही नहीं
कर्बला से आज तक इंकार था इंकार है

लो बहाया जा रहा है फिर से खूने बे-खता
बारिशें अब खून की होंगी यही आसार है

मैं तो अपने मुल्क से भी यही कहता हूं जुहैर
जिस का साया सर पे है वो रेत की दीवार है

Phir se Shaitaan ne Iraan ko Dhamkaya Hai

लो मियां बैअत ए फासिक़ का सवाल आया है
फिर से शैतान ने ईरान को धमकाया है

अहले बातिल के लिए सर नहीं झुकता अपना
शह का फरमान है ये हमने तो दोहराया है

देख लो कौन हैं नारी तो अकेला है कौन
किस के काँधे पा अलम हक़ का नज़र आया है

अहले बातिल के लिए सर नहीं झुकता अपना
शह का फरमान है ये हमने तो दोहराया है

ग़ासिब ए हक़ के तरफ़दार हैं दुनिया वाले
पर जो ग़ासिब है वो ईरान से घबराया है

हाज क़ासिम भी नहीं और ना हसन नसरुल्लाह
मुन्तज़िर जिसके थे वो वक़्त तो अब आया है

धमकियाँ देता है शैतान का फ़रज़न्द हमें
खात्मा अपना ये खुद उसने ही बुलवाया है

हम दिफ़ा करते हैं हमला नहीं करते हैं कभी
हमला मजबूरी है वो घर में ही घुस आया है

Hamara Sar to Na kal jhuka tha na ab jhukega sitam ke aage

हमारा सर तो ना कल झुका था ना अब झुकेगा सितम के आगे
ये राहे हक़ में है कट तो सकता ना अब झुकेगा सितम के आगे

इरान आया है जंग करने वक़ारो हक़ की लड़ाई लड़ने
जो अज़्म लाया हो मुर्तज़ा का वो क्या डरेगा सितम के आगे

सितम की औक़ात देखे दुनिया हमारा अज़्मों शऊर देखे
हमारी हिम्मत हमारा जज़्बा ना अब हिलेगा सितम के आगे

हर एक मुल्के अज़ीम सुन ले जो सर छुपाये हुए पढ़ा है
उठेगा नेज़ों पे सर हमारा ना अब झुकेगा सितम के आगे

हमारी मिटटी हमारा पानी हमारी खेती हो फल हमारा
ये ही तो कहना है बस हमारा जो ना टलेगा सितम के आगे

जो जान जाएगी ग़म नहीं है मगर यज़ीदे जहान सुन लें
अलम उठा है जो कर्बला का ये ना झुकेगा सितम के आगे

दिफ़ाई हमलों से काम लेता हैं फिर भी देखो है ज़ख्म कैसे
है खामनाइ शहे हुदा का डटा रहेगा सितम के आगे

जो हम पे गुज़रे थे रंज सारे वो ख़ुद पे गुज़रें तो लोग समझें
जो है जलाली ये रंग हमारा ना होगा फीका सितम के आगे

हर एक मुल्के अज़ीम सुन ले जो सर छुपाये हुए पढ़ा है
उठेगा नेज़ों पे सर हमारा ना अब झुकेगा सितम के आगे

हमारी मिटटी हमारा पानी हमारी खेती हो फल हमारा
ये ही तो कहना है बस हमारा जो ना टलेगा सितम के आगे

हवा की ज़िद पर दिया जला है जो ज़ालिमों को दिखा रहा है
लहू है इसमें भी कर्बला का ना बुझ सकेगा सितम के आगे