अमल से कब वहाँ किरदार समझा जा रहा है
रहज़नो को जहाँ सरदार समझा जा रहा है
नहीं मालूम जिसका हुर है या वो हुरमुला है
भला कैसे वो मातमदार समझा जा रहा है
खुद अपनी कोम को जाहिल दिखा कर सबके आगे
खुद अपने आप को हुशियार समझा जा रहा है
ज़रा सी मालो दौलत और इनकी चापलूसी
ख़याल ए खाम भी हथियार समझा जा रहा है
मेरे माबूद आखिर कब तमाशा ख़त्म होगा
अज़ादारी है क्यों त्योहार समझा जा रहा है
तमाशा करने वालों को खबर दे दो ज़ुहैर अब
ये ना समझें उन्हें दम दार समझा जा रहा है