क़ुरआने इश्क़ो मवद्दत में जितने गोहर हैं
सकीना आपकी मिदहत को सारे हाज़िर हैं
जहान भर में जहाँ आयतें उतरती हैं
उसी घराने के दिलबर की आप दुख्तर हैं
रसूले पाक के दिलबर तुम्हारे बाबा हैं
रबाब माँ हैं तेरी भाई नन्हें असग़र हैं
हसन हुसैन नबी फातिमा अली मौला
जहान भर में ये ही पांच सबसे बेहतर हैं
इमाम बारा हैं मासूम हैं फ़क़त चौदा
शहीदे करबो बला कुल के कुल बहत्तर हैं
सजा है दीने खुदा बे बहा नगीनों से
चमक रहे हैं जो इसमें वो कुल बहत्तर हैं
ज़िया में सारे बहत्तर ही सबसे आला हैं
मगर सग़ीर शहे दीं के सबसे अकबर हैं
जलाया जिसने मुसल्ला इमाम का मेरे
उसी की आल के काँधे पे आज बिस्तर हैं
ज़ुहैर हमको ज़माना मिटा नहीं सकता
नबी को हक़ ने जो बक्शा है हम वो कौसर हैं