इश्क़े हैदर से जो सरशार नज़र आते हैं
बस वो ही साहिबे किरदार नज़र आते हैं
सुनने आते हैं फ़ज़ाइल जो मेरे मौला के
खुल्द के सब ही खरीदार नज़र आते हैं
सुनके मौला के फ़ज़ाइल जो नहीं बोलते हैं
ग़ासिबे हक़ के तरफ़दार नज़र आते हैं
जशने मौला में ज़रा वक़्त से आया भी करें
वक़्त के जो भी गिरफ्तार नज़र आते हैं
है ये ही ज़िक्र फ़क़त जिसने सवारा है हमें
वरना हर कोम में फनकार नज़र आते हैं
खुश नसीबी है हमे फ़र्शे मसर्रत पे ज़ुहैर
जितने चेहरे हैं वो गुलज़ार नज़र आते हैं