Charag Leke Kahan Samne Hawa ke Chale

खुदा का दीन हमें मुस्तफा सिखा के चले
हैं मेरे बाद अली सबको ये बता के चले

अली के बाद हसन और हसन के बाद हुसैन
गला कटा के जो दीने खुदा बचा के चले

ए कर्बला हो मुबारक तुझे नसीब तेरा
लहू से अपने बहत्तर तुझे सजा के चले

ज़माना जान ले मरते नहीं शहीद कभी
कलामे पाक को नेज़ों से हम सुना के चले

ये फ़ौज क्या है ज़मी आसमा उलट दूँगा
सग़ीर झूले से ये कह के मुस्कुरा के चले

झुका ना पाए थे सर तो हुसैन का लेकिन
यज़ीद वाले सिना पर उसे उठा के चले

ज़ईफ़ होके भी नुसरत में शाहे दीं की हबीब
है दोस्ती का जो मेयार वो दिखा के चले

सवाले बैयते फ़ासिक़ पा ये अजल ने कहा
चराग़ लेके कहाँ सामने हवा के चले

ज़ुहैर बैअते फ़ासिक़ के घर अँधेरे हैं
हुसैन जबसे चराग़ों की लौ बुझा के चले