Zikr e Haider ko aam karte hain

हम जो ज़िक्रे इमाम करते हैं
क़द से ऊँचा ये काम करते हैं

ज़िकरे मौला का फैज़ तो देखो
सिन रसीदा सलाम करते हैं

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क़द से ऊँचा वो काम करते हैं
जो भी ज़िक्रे इमाम करते हैं

उनका सब एहतिराम करते हैं
जो सिना से कलाम करते हैं

दार पर जा के मीसमे तम्मार
ज़िक्रे हैदर को आम करते हैं

आने वाले हैं ग़ैब से मौला
क्या कोई इंतज़ाम करते हैं

मर्सिया नोहा मन्क़बत खानी
आम शह का पयाम करते हैं

नारा हैदर का हम लगा के ज़ुहैर
रुख़ पे मुनकिर के शाम करते हैं