Hai Jashn e Wiladat Imam e Hasan a.s. Ka

ये आमद का चर्चा है किस गुल बदन का
जो गुलज़ार महका रसूले ज़मन का

वो शबनम की बूंदों का कलियों से कहना
के चिड़ियें सुनाती हैं किस का तराना
है फखरे जिना आज मौसम चमन का
ये आमद का चर्चा है किस गुल बदन का

ये गुल जो खिला तो नबी मुस्कुराए
फरिश्तों ने आकर क़सीदे सुनाए
क्यों अब्तर सा चेहरा है शेख ए ज़मन का
जो गुलज़ार महका रसूले ज़मन का

हर एक सिम्त है ग़ुल जो सल्ले अला का
ये गुलशन में जलसा जो है बुल बलों का
है जश्न ए विलादत इमाम ए हसन का
जो गुलज़ार महका रसूले ज़मन का

इमाम ए हसन की जो आमद हुई है
फ़िज़ाओं में कौसर की खुशबू घुली है
हसीं है नज़ारा ही धरती गगन का
जो गुलज़ार महका रसूले ज़मन का

मिली नौकरी है दरे सय्यदा की
लबो पर सना है मेरे मुज्तबा की
लो देखो मुक़द्दर मेरे फ़िक्रों फन का
जो गुलज़ार महका रसूले ज़मन का

वो मोमिन कहाँ गर कोई हो शराबी
सहाबी का क़ातिल हो वो भी सहाबी
ये मेयार हो जिसके चालो चलन का
है दुश्मन वो ही तो इमाम ए हसन का

लो दावा मोहब्बत का प्यारे नबी से
मगर दिल से दुश्मन भी मौला अली के
है सूरत भी काली सिला काले मन का
है दुश्मन वो ही तो इमाम ए हसन का

है अज्रे रिसालत क़सीदा तुम्हारा
ज़ुहैर इसने उन सब का चेहरा उतारा
जो मुनकिर हुआ है दर ए पंज ए तन का
है दुश्मन वो ही तो इमाम ए हसन का