लो मियां बैअत ए फासिक़ का सवाल आया है
फिर से शैतान ने ईरान को धमकाया है
अहले बातिल के लिए सर नहीं झुकता अपना
शह का फरमान है ये हमने तो दोहराया है
देख लो कौन हैं नारी तो अकेला है कौन
किस के काँधे पा अलम हक़ का नज़र आया है
अहले बातिल के लिए सर नहीं झुकता अपना
शह का फरमान है ये हमने तो दोहराया है
ग़ासिब ए हक़ के तरफ़दार हैं दुनिया वाले
पर जो ग़ासिब है वो ईरान से घबराया है
हाज क़ासिम भी नहीं और ना हसन नसरुल्लाह
मुन्तज़िर जिसके थे वो वक़्त तो अब आया है
धमकियाँ देता है शैतान का फ़रज़न्द हमें
खात्मा अपना ये खुद उसने ही बुलवाया है
हम दिफ़ा करते हैं हमला नहीं करते हैं कभी
हमला मजबूरी है वो घर में ही घुस आया है