Yakko tanha jo khada hai kaun ye Sardaar hai?

यक्को तनहा जो खड़ा है कौन ये सरदार है
ज़ालिमों का दिल हिलाती किसकी ये यलगार है

अज़्म इसमें कर्बला का हौसला शब्बीर का
ये अली का शेर है जो बर सर-ए-पैकार है

ओ ज़माने के यज़ीदों है अली इब्ने अली
नाम इसका खामनाई शाह का मातमदार है

बुग़्ज़-ए-हैदर का असर है छुप नहीं सकता कभी
फिर सऊदी कह रहा है जंग-ए-इक़्तेदार है

हैं पचासों मुल्क जिनके हुक्मरां हैं कलमा गो
ज़ुल्म का हामी है जो भी दीन का गद्दार है

दुश्मन-ए-आले नबी जो तू नहीं तो वार कर
चूड़ियां हैं हाथ में या मोम की तलवार है

ज़ुल्म के आगे तो हमने सर झुकाया ही नहीं
कर्बला से आज तक इंकार था इंकार है

लो बहाया जा रहा है फिर से खूने बे-खता
बारिशें अब खून की होंगी यही आसार है

मैं तो अपने मुल्क से भी यही कहता हूं जुहैर
जिस का साया सर पे है वो रेत की दीवार है