Sughra ne likha khat mian ke kab aaoge Akbar

सुग़रा ने लिखा खत में कि कब आओगे अकबर
कह कर ये गए थे मुझे ले जाओगे अकबर

मसरूफे सफर हो मुझे एहसास है भाई
आओगे मुझे लेने ये ही आस है भाई
कब आओगे कब आओगे कब आओगे अकबर
सुग़रा ने लिखा खत में कि कब आओगे अकबर

बाबा कभी अम्मू कभी याद आई सकीना
तुम जबसे गए हो गया वीरान मदीना
क्या आ के मदीने मुझे ले जाओगे अकबर
सुग़रा ने लिखा खत में कि कब आओगे अकबर

एक पल के लिए भी मेरा दिल ही नहीं लगता
फुरक़त में तुम्हारी यूँ ही मर जाऊँगी तनहा
बीमार हूँ कितना मुझे रुलवाओगे अकबर
सुग़रा ने लिखा खत में कि कब आओगे अकबर

सब साथ में होंगे मुझे राहत ही मिलेगी
बहना ये तुम्हारी कोई शिकवा ना करेगी
तुम मेरे लिए बाबा को समझाओगे अकबर
सुग़रा ने लिखा खत में कि कब आओगे अकबर

आँखें हैं लगी राह पे दिल रोता है मेरा
सोती नहीं रातों को ना दिन कटता है मेरा
वो हाल है तुम देख के घबराओगे अकबर
सुग़रा ने लिखा खत में कि कब आओगे अकबर

रोती थी तड़पती थी परेशान थी सुग़रा
आँखों में ज़ुहैर आँसू लिए कहती थी दुखिया
लगता है मैं मर जाऊँगी तब आओगे अकबर
सुग़रा ने लिखा खत में कि कब आओगे अकबर
कह कर ये गए थे मुझे ले जाओगे अकबर