सिर्फ छह माह में तू कितना बड़ा है बेशीर
सर उठाए ये फलक देख रहा है बेशीर
खूब मालूम है झूला भी वो अजदर भी इसे
हुरमुला खौफ से यूँ काँप रहा है बेशीर
ए ज़मीं आसमां बस क़ल्ब पे काबू रखना
दस्ते शब्बीर पे मैदां को चला है बेशीर
लड़ने आता तो क़यामत सरे मैदान आती
मुस्कुरा कर ही अभी देख रहा है बेशीर
लाश बैयत की गिरी रन में जो आशूर के दिन
रो दिया लश्करे कुफ्फार हसा है बेशीर
कमसिनी मैं भी शरीअत के मुहाफ़िज़ हो तुम
तुम हसे हो तो ये इस्लाम बचा है बेशीर
शान में उसको ये गुलदस्ता बना लाया ज़ुहैर
तेरी मिदहत में जो कुछ इसने लिखा है बेशीर