Akbar Tumhare Husn Pa Yusuf Nisaar Hain

इनकी अताएँ मुझ पा बड़ी बेशुमार हैं
फ़ेहरिस्त में ग़ुलामों की अपने शुमार हैं

या रब अता हो ताकते परवाज़ फ़िक्र को
अकबर की मदह सुनने को सब बे क़रार हैं

पोते हो तुम अली के शबीहे रसूल हो
अकबर तुम्हारे हुसन पा युसुफ निसार हैं

पाया है वो घराना जहाँ आते हैं मलक
अकबर तुम्हारे घर में सभी शाहकार हैं

आशूर को जो तुमने अज़ाने सुबह कही
दीने खुदा में आज भी उसकी बहार हैं