दाद देते हूँ मैं खुद को अपने ही अफ़कार की
जब सना होती है मुझसे बेज़बान अंसार की
ताब लाए ना अदू जब दो लबों के वार की
क्या ज़रूरत हो भला बेशीर की हथियार की
दो लबों से ही महाज़े जंग को सर कर लिया
शान है बेशीर में सब हैदर ए कर्रार की
मुस्कराहट ने अली असग़र की साबित कर दिया
हैसियत कुछ भी नहीं है हुरमुला के वार की
बच्चा बच्चा कर रहा है ज़िक्रे हैदर देखिये
ये ज़मानत है ज़बाने मीसमे तम्मार की
सुनके हैदर के फ़ज़ाइल तिलमिलाना देखिये
बुग़ज़े हैदर में क्यों अपनी ज़िन्दगी दुष्वार की
मर के हर एक मुनकिर ए हैदर को ये अफ़सोस है
बुग़ज़े हैदर में गुज़ारी ज़िन्दगी बेकार की
मर्ग पर मेरे खुली रह जाएँ तो ना ढापना
राहें तकती हैं निगाहें आखरी सरकार की
मदह ख्वानी शह का मातम जज़्बा ए नुसरत ज़ुहैर
शीरे मादर ने हर एक खूबी मेरी बेदार की