Noke Qalam Se Kaam Liya Hai Husaam Ka

इसमें निहा है लुत्फ़ खुदा के कलाम का
है ज़िक्र जो लबो पे इमाम ए अनाम का

क्यों ना हसन के हुस्न पा यूसुफ निसार हों
दुनिया में सारा हुस्न है इनके ही नाम का

मौला हसन की आमदे पुरनूर के लिए
जश्ने विला सजा है बड़ी धूम धाम का

पहले इमाम बाद में क़ुरआन आएगा
क्या खूब सिलसिला है ये माहे सियाम का

मोजिज़ नुमा की सुल्ह भी मोजिज़ नुमा हुई
नोके क़लम से काम लिया है हुसाम का

सर तक उतर गया पा ना तन को खबर हुई
कितना करीम वार था सुल्हे इमाम का

मंसूबे सब उलट दिया सिब्ते रसूल ने
जीना हराम कर दिया नस्ले हराम का

जबसे ज़ुहैर तुमने सुनाई है मन्क़बत
चेहरा खिला हुआ है हर एक खासो आम का

Hai Jashn e Wiladat Imam e Hasan a.s. Ka

ये आमद का चर्चा है किस गुल बदन का
जो गुलज़ार महका रसूले ज़मन का

वो शबनम की बूंदों का कलियों से कहना
के चिड़ियें सुनाती हैं किस का तराना
है फखरे जिना आज मौसम चमन का
ये आमद का चर्चा है किस गुल बदन का

ये गुल जो खिला तो नबी मुस्कुराए
फरिश्तों ने आकर क़सीदे सुनाए
क्यों अब्तर सा चेहरा है शेख ए ज़मन का
जो गुलज़ार महका रसूले ज़मन का

हर एक सिम्त है ग़ुल जो सल्ले अला का
ये गुलशन में जलसा जो है बुल बलों का
है जश्न ए विलादत इमाम ए हसन का
जो गुलज़ार महका रसूले ज़मन का

इमाम ए हसन की जो आमद हुई है
फ़िज़ाओं में कौसर की खुशबू घुली है
हसीं है नज़ारा ही धरती गगन का
जो गुलज़ार महका रसूले ज़मन का

मिली नौकरी है दरे सय्यदा की
लबो पर सना है मेरे मुज्तबा की
लो देखो मुक़द्दर मेरे फ़िक्रों फन का
जो गुलज़ार महका रसूले ज़मन का

वो मोमिन कहाँ गर कोई हो शराबी
सहाबी का क़ातिल हो वो भी सहाबी
ये मेयार हो जिसके चालो चलन का
है दुश्मन वो ही तो इमाम ए हसन का

लो दावा मोहब्बत का प्यारे नबी से
मगर दिल से दुश्मन भी मौला अली के
है सूरत भी काली सिला काले मन का
है दुश्मन वो ही तो इमाम ए हसन का

है अज्रे रिसालत क़सीदा तुम्हारा
ज़ुहैर इसने उन सब का चेहरा उतारा
जो मुनकिर हुआ है दर ए पंज ए तन का
है दुश्मन वो ही तो इमाम ए हसन का